दुर्गा पूजा भारत मे मनाया जाने वाले प्रमुख त्योहारों मे से एक है । यह पुजा लगभग सम्पूर्ण भारतवर्ष मे अति उत्साह और भक्ति से मनाया जाता है।

Durga Puja

दुर्गा पूजा का आयोजन देवी दुर्गा की आराधना के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए बुराई पर अच्‍छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर दुर्गापूजा को मनाया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों मे यह पर्व विशेष महत्व रखता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार दुर्गा पूजा को मनाने की तारीख निर्धारित होती हैं तथा इस पखवाड़े को देवी पखवाड़ा या देवी पक्ष भी कहते है ।

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दुर्गापुजा कब मनाया जाता है ?

दुर्गा पूजा को मनाने की तारीख हिन्दू पंचांग के अनुसार निर्धारित होती हैं। दुर्गापुजा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की षष्‍ठी से लेकर आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तक मनाया जाता है।

यह सम्पूर्ण भारत मे मनाया जाने वाले पर्व है विशेषकर पश्चिम बंगाल, सिक्किम,बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों मे यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। लोग दुर्गोत्सव की तैयारी मे महीनो पहले से ही लग जाते है। स्कूल, कॉलेज के अलावा निजी तथा सरकारी संस्थानों मे भी दुर्गापूजा के लिए अवकाश होता है।

दुर्गा पुजा क्यों मनाते है ?

Durga Puja को मनाने को लेकर कई सारी मान्यताएँ प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है की एक समय अति शक्तिशाली राक्षस महिषासुर हुआ करता था, वो राक्षसो का राजा था। उसने ब्रह्मदेव की आराधना और तपस्या करके किसी देवता के हाथ ना मारे जाने का वरदान प्राप्त कर लिया और ऋषियों तथा देवतावों को सताने लगा और स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमाने लगा।

महिषासुर के आतंक से आतंकित होकर सारे देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ( त्रिदेव ) के पास जाते है और उनसे महिषासुर के आतंक से बचाने का आग्रह करते है। तब तीनों देवो ने मिलकर शक्ति रुपेन माँ दुर्गा को प्रकट किया जो की स्त्री रूप मे थी। उनका नाम दुर्गा था । सभी देवतावों ने मिलकर उन दुर्गा माँ का आवाहन किया, पूजन तथा महिषासुर के आतंक से बचाने का आग्रह किया।

तथ्पश्चात देवी माँ दुर्गा और राक्षस राज महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ और फिर आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को देवी दुर्गा ने दुर्गा ने महिषासुर का संहार कर दिया । तभी से माँ दुर्गा के पूजन तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दुर्गौत्सव मनाया जाने लगा।

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दुर्गा पुजा का महत्व

देश के आधिकांश हिस्से मे दुर्गोत्सव पूरे 9 दिन तक मनाया जाता है हालांकि कहीं कहीं यह पुजा 5 दिन या 7 दिन का भी होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत नवरात्रि से एक दिन पहले ही महालया से हो जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि महालया की शाम को देवी दुर्गा माँ कैलाश पर्वत से पृथ्‍वी पर आती हैं और यहाँ पर पूरे 9 दिनों तक रहकर हमसब पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

देश के लगभग हर गली मोहल्ले में Durga Puja मनाया जाता है और अधिकांश जगह माँ दुर्गा के बड़े-छोटे मूर्तियों की स्थापना करके सजाया जाता है और पूजन किया जाता है। दुर्गा पूजा का उत्सव पूरे 10 दिनों तक चलता है, लेकिन समान्यतः दुर्गा माँ की मूर्ति का पूजन सातवें दिन से शुरू होती है। दुर्गा पुजा के 9 दिन होने के बाद माँ शक्ति की प्रतिमा को जल मे विसर्ज‍ित कर दिया जाता है।

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