संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र

भगवान शिव अनादि है, उनका ना कोई शुरुवात है और ना ही कोई अंत। जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी भगवान शिव-शंभू ही होंगे। कहते है की सम्पूर्ण ब्रह्मांड ही भगवान शिव के अंदर समाया हुआ है।

List of Contents

  1. महामृत्युंजय मंत्र
  2. महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
    1.     महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी अर्थ
    2.     महामृत्युंजय मंत्र का अंग्रेजी में अर्थ
  3. महामृत्युंजय मंत्र जप के फायदे
  4. महामृत्युंजय मंत्र जाप का नियम
  5. महामृत्युंजय मंत्र जप के दौरान सावधानियां

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्
ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!

MahaMritunjay Mantra

MahaMritunjay Mantra

भगवान शिव की पूजा लोग कई मंत्रों के द्वारा करते है। हिन्दू धर्म के हर ग्रंथ मे भगवान शिव को देवो का देव कहा गया है। कहते है की भगवान शिव देवो के भी देव यानि महादेव है। भगवान महादेव के पूजा करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक लगभग हर ग्रंथ में मिलता है। संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख शिवपुराण आदि ग्रंथो मे भी मिलता है।

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

इस मंत्र में 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि देवताओं के घोतक हैं। उन 33 देवताओं में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्यठ, 1 प्रजापति और 1 षटकार हैं। इन तैंतीस प्रकार के देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र में निहीत होती है।

महामृत्युंजय मंत्र का हिन्दी अर्थ
इस महा-मंत्र का हिन्दी मतलब है कि हम, समस्‍त संसार के पालनहार उन भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो अपने हरेक श्वास से जीवन शक्ति का संचार करते हैं। इस पूरे ब्रह्मांड का पालन-पोषण करने वाले भगवान शिव हमें कष्टों से मुक्ति दिलाएं।

महामृत्युंजय मंत्र का अंग्रेजी में अर्थ

I worship the Supreme Lord Shiva, Who has three eyes and is fragrant.
You nourishes the whole World. Bless and Free me from the fear of Death.

महामृत्युंजय मंत्र जप के फायदे

– संस्कृत में महामृत्युंजय शब्द का अर्थ है मृत्यु को जीतने वाला। इसलिए भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र की स्तुति, मृत्यु पर विजय पाने के लिए यानि की संसार के कष्ट से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है।

– माना जाता है की संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र, जीवनदायिनी मंत्र है। इस मंत्र के जाप से जीवन मे खुशियां तो आती ही है साथ ही साथ इंसान सकारात्मक सोच का होने लगता है। महामृत्युंजय का पाठ करने वाला व्यक्ति हर प्रकार से सुखी एवं समृध्दिशाली होता है। भगवान शिव-शंभू की अमृतमयी कृपा उसपर निरन्तंर बरसती रहती है।

– कहते है की भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
– ऐसा माना जाता है की 11000 मंत्रों का जप करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
– माना जाता है की यदि व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह मंत्र जाप करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की संभावना प्रबल रहती है।

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MahaMritunjay Mantra जाप का नियम

– मंत्र का जप किसी एकांत स्थान में या फिर किसी मंदिर में हमेशा शांत मन और शुद्ध उच्चारण करते हुए करना चाहिए।
– मंत्र जप करते समय भगवान शिव की फोटो, प्रतिमा या शिवलिंग सामने रखना चाहिए।
– मंत्र के दौरान अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
– मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए।
– मंत्र का उच्चारण बिल्कुल शुद्ध और सही होना चाहिए।
– मंत्र जाप करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
– इस महामंत्र का जप किसी साफ सुथरे आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से एक निश्चित संख्या मे ही करना चाहिए और फिर उस रुद्राक्ष की माला को गले मे धारण नहीं करना चाहिए।
– मंत्र जप के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक रहना चाहिए।

मंत्र जप के दौरान सावधानियां

महामृत्युंजय मंत्र का जप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है, परंतु इस दौरान कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि व्यक्ति को इस मंत्र का संपूर्ण लाभ प्राप्त हो और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे। अतः जप में निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।

– मंत्र का उच्चारण शुद्धता से करें।
– जप एक निश्चित संख्या में ही करना चाहिए।
– मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि ऐसा अभ्यास न हो तो बिल्कुल धीमे स्वर में मंत्र जप करें।
– जप के दौरान धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
– महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करें।
– जप हमेशा शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखकर करना चाहिए।
– महामृत्युंजय मंत्र का जाप कुश के आसन पर बैठकर करना चाहिए।
– रोजाना जप एक ही स्थान पर करने की कोशिश करनी चाहिए।
– जाप के दिनों मे मिथ्या बातों से दूर रहना चाहिए, दांपत्य सुख से भी दूर रहें तथा मांसाहार तो पूर्णतः निषेध है।

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त्रुटियों के लिए क्षमाप्रार्थी, इस ब्रह्मांड के स्वामी भगवान महादेव को प्रणाम। जय भोलेनाथ। जय शिव-शंभू।