क्या आप संतुष्ट है – A Motivational Short Story in Hindi
दोस्तों हम लोग कभी भी संतुष्ट नहीं होते हैं । हम कभी भी संतुष्ट नहीं रहते और हर किसी को , जो भी हमसे ज्यादा खुश या अच्छा दिखाई देता है उसे ईर्ष्या की नजर से देखते है । ये सिर्फ हम या आप ही नहीं करते । ज्यादातर लोग ऐसे ही होते है क्यूंकि ये मानव स्वाभाव है, यही हमारी प्रकृति है । हमारी आदत के कारण हम कभी भी संतुष्ट नहीं होते । हमेसा हम हर चीज दूसरों से अधिक पाना चाहते हैं । अगर हम ऐसे लोगों को देखते हैं हमसे बेहतर जीवन जीते है या हमसे ज्यादा अच्छे कपड़े पहनते है तो हम उनके जैसा जीवन ही चाहते हैं।
आज अपनी इसी असंतुष्ट सोच के कारण लोग क्या क्या नहीं करते । चोरी चाकरी, क्राइम का कारण यही तो है की लोग अधिक से अधिक पाना चाहते है वो भी बिना मेहनत के पल भर में । चलिए आपको भी वही कहानी बताता हु जो मैने कुछ दिनों पहले पढ़ा था एक मैगज़ीन में।
एक दिन एक कौवा प्यासा सा असंमान में उड़ रहा होता है पानी की तलाश में । उड़ते उड़ते वो एक चिड़ियाघर के पास पहुच जाता है । वह काफी भीड़ होती है । वो एक पेड़ की डाल पे बैठ के देखने लगता है । वो देखता है की एक मोर के पिंजरे के पास काफी भीड़ होती है और लोग खूब फोटो लेते रहते है । कोई कुछ अनाज के दाने भी डाल रहा है । कौवा देखता है की उस पिंजरे में पानी का बड़ा सा मटका भी रखा हुआ है । मोर लोगो को देख के कभी इधर जाती है कभी उधर और कभी पंख फैलाती है । मोर को पंख फैलाते हुए देखकर लोग खूब खुश होते रहते है और तालिया बजाते है।
कौवा ये सब देख कर बहुत दुखी हो जाता है और सोचता है काश में भी इसकी तरह मोर होता तो मुझे भी खूब सारा खाना मिलता, खूब सारा पानी मिलता और न ही मुझे खाना पानी की खोज में इधर उधर परेशान होना पड़ता । लोग इस मोर की तरह मुझे भी ऐसे ही प्यार करते और में भी ऐसे ही नाचती ।
यही सब देखते देखते शाम हो गयी और कौवा जाने लगा । फिर उसने देखा की अब सारे लोग चले गये है और मोर अकेला कोने में बैठ के उदास हो के रो रहा है । कौवे के बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस मोर के जीवन में तो सब कुछ है फिर ये क्यों रो रहा है ।
कौवा पिंजरे के पास गया और जा कर बोला । अरे मोर , तुम क्यों रो रहे हो । तुम्हारे जीवन में तो सब कुछ अच्छा है खाना पानी इतने सारे चाहने वाले । फिर ये रोना क्यों ।
मोर बोला । नहीं में अपने जीवन से खुश नहीं हु काश में भी तुम्हारी तरह कौवा होता तो सबसे ज्यादा खुश मै ही होता । कौवे को हंसी आ गयी । बोला मैं तो खुद परेशान हु और सोच रहा था की मैं भी तुम्हारी तरह मोर होता और तुम कौवा बनना चाहते हो । ऐसा क्यों । क्या कमी है । सब कुछ तो है और क्या चाहिए ।
मोर बोला मेरे पास सब कुछ तो है पर वो नहीं जो मुझे चाहिए । मुझे वो चाहिए जो तुम्हारे पास है । आज़ादी । न कोई तुम्हे रोकने वाला है न कोई परेशानी । जहा मर्जी जावो आवो । ये खाना पीना किस काम का जब में खुल के आ जा ही नहीं सकता ।
अब कौवे को समझ में आ गया की सब के जीवन में तकलीफ होती है । जहाँ सब के जीवन में उसके परिवार और परस्थिति के हिसाब से खुशियाँ भी होती है वही परेशानियाँ और गम भी । इसलिए हम जो है जैसे है हमे उसमे खुश और संतुष्ट रहना चाहिए । हाँ हमे अपने और को और ज्यादा अच्छा बनाने की कोशिश जरुर करते रहना चाहिए पर इसके लिए हमे दुसरो से अनावश्यक तुलना करके असंतुष्ट होने की कोई जरुरत नहीं है ।
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