वराहगिरि वेंकट गिरि भारतवर्ष के चौथे राष्ट्रपति थे। उन्होंने वर्ष 1969 में इस पद को सुशोभित किया।

वराहगिरि वेंकट गिरि की जीवनी

पूरा नाम वराहगिरि वेंकट गिरि
Full Name in English Varahagiri Venkata Giri
जन्म तिथि 10 अगस्त, 1894
जन्म स्थान बेहरामपुर, ओडिशा
पिता का नाम वराह गिरि वेंकट जोगैया पांटुलु
माता का नाम सुभाद्रम्मा
पत्नी का नाम सरस्वती बाई
कार्य / व्यवसाय राजनीतिज्ञ
नागरिकता भारतीय
राजनीतिक दल कांग्रेस
पद भारत के राष्ट्रपति
मृत्यु तिथि 24 जून 1980

वी.वी.गिरि का जन्म

वराहगिरि वेंकट गिरि (वी.वी.गिरि) का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के बेहरामपुर में एक तेलुगू भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था| उनके पिता वराह गिरि वेंकट जोगैया पांटुलु एक प्रतिष्ठित और समृद्ध वकील थे|

गिरि की माता सुभाद्रम्मा असहकार और असहयोग आंदोलन के समय में बेरहामपुर की एक सक्रीय स्वतंत्रता सेनानी थी। लेकिन आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। 

वराहगिरि वेंकट गिरि का पारिवारिक जीवन

गिरि ने सरस्वती बाई से शादी कर ली थी और उनके कुल 14 बच्चे थे।

वराहगिरि वेंकट गिरि की शिक्षा

वराहगिरि वेंकट गिरि ने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गृहनगर में पूरी की | अपनी कानून की शिक्षा के लिए उन्होंने वर्ष 1913 में डबलिन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया |

उसी वर्ष उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, वी.वी.गिरि उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए और उन्हें यह एहसास हुआ कि कानून की शिक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है देश की आजादी की लड़ाई |

वर्ष 1916 में उन्होंने आयरलैंड के ‘सिन्न फ़ाईन आंदोलन’ में सक्रीय रूप से भाग लिया| परिणामतः वे अपनी कानून की शिक्षा पूरी करने में असमर्थ हो गए और उन्हें कॉलेज से निष्काषित कर दिया गया| यह आयरलैंड की आजादी और श्रमिकों का आंदोलन था, जिसके पीछे वहां के कुछ क्रांतिकारी विचारधारा वाले लोगों जैसे- डी| वालेरा, कोलिन्स, पेअरी, डेसमंड फिजराल्ड़, मेकनेल और कोनोली का हाथ था| उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उनसे मुलाकात की| इस आन्दोलन से प्रभावित हुए और वह ऐसे आंदोलनों की आवश्यकता भारत में भी महसूस करने लगे| इसके बाद वी.वी.गिरि भारत लौट आए और सक्रिय रूप से श्रमिक आंदोलनों में भाग लेना शुरू किए, बाद में वे श्रमिक संगठन के महासचिव नियुक्त किये गए| उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों में भी सक्रीय रूप से भाग लिया |

वराहगिरि वेंकट गिरि का राजनीतिक सफ़र

भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के लखनऊ सेशन में उपस्थित रहकर वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के सदस्य भी बने और इसके तुरंत बाद वे एनी बेसेंट के होम रूल आंदोलन में शामिल हो गये। इसके बाद 1920 में महात्मा गाँधी द्वारा बुलाये गये आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए गिरि ने अपना वकिली करियर दाव पर लगाया था। 1922 में मदिरा बेचने वालो के खिलाफ आंदोलन करने की वजह से उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया था।

गिरि मजदूरो और भारत के ट्रेड यूनियन मूवमेंट से आंतरिक रूप से जुड़े हुए थे। इसके साथ-साथ गिरि ऑल इंडिया रेलवे मैन फेडरेशन के संस्थापक सदस्य भी थे, जिसकी स्थापना 1923 में की गयी थी और तक़रीबन एक दशक से भी ज्यादा के समय तक उन्होंने जनरल सेक्रेटरी के पद पर रहते हुए फेडरेशन की सेवा की थी।

1926 में पहली बार उनकी नियुक्ती ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रेसिडेंट के पद पर नियुक्ती की गयी थी। गिरि ने बंगाल नागपुर रेलवे एसोसिएशन की भी स्थापना की है और 1927 में ILO में आयोजित इंटरनेशनल लेबर कांफ्रेंस में गिरि भारतीय मजदूरो का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इसके बाद टेबल कांफ्रेंस के दुसरे राउंड में वे भारतीय औद्योगिक कामगारों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। अपने करियर में मजूदर यूनियन के साथ जुड़े रहने के साथ-साथ वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के साथ भी जुड़े हुए थे।

1928 में उन्होंने बंगाल नागपुर रेलवे एसोसिएशन को असहकार आंदोलन के अहिंसा आंदोलन में शामिल किया था। उनका यह आंदोलन सफल रहा और ब्रिटिश इंडियन गवर्नमेंट और रेलवे मैनेजमेंट कंपनी को मजदूरो की साड़ी शर्तो को मानना पड़ा था और यह अभियान भारत के इतिहास में एक माइलस्टोन बनकर रह गया।

1929 में इंडियन ट्रेड यूनियन फेडरेशन (ITUF) की स्थापना गिरि, एन.एम. जोशी और दुसरे सदस्यों ने मिलकर की। लेकिन फिर रॉयल कमीशन को सहयोग करने को लेकर AITUS के साथ उनके मतभेद हुए। गिरि और ITUF कमीशन को सहयोग करना चाहते थे, जबकि AITUC उसका विरोध करना चाहते थे।

वर्ष 1931-1932 में एक प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने लंदन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया | गिरि वर्ष 1934 में ‘इम्पीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली’ के सदस्य के रूप में चुने गए |

गिरि कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में वर्ष 1936 के आम चुनाव (ब्रिटिश कालीन) में खड़े हुए और इसके साथ ही राजनीति से उनका वास्ता शुरू हुआ | उन्होंने चुनाव जीता और अगले वर्ष मद्रास प्रेसीडेंसी में उन्हें श्रम और उद्योग मंत्री बना दिया |

जब ब्रिटिश शासन में कांग्रेस सरकार ने वर्ष 1942 में इस्तीफा दे दिया, तो वी.वी. गिरि ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भाग लेने के लिए श्रमिक आंदोलन में लौट आए | उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया | इसके बाद 1943 में AITUC के नागपुर मिलन तक वे जेल में ही थे, जेल से आने के बाद उनकी नियुक्ती अध्यक्ष के पद पर की गयी थी। जेल में रहते हुए भी उन्होंने वेल्लोर और अमरावती में जेल के मजदूरो की सहायता की थी। अंत में जेल जाने के बाद वे पुरे तीन साल जेल में रहे, जो उनके जीवन का सबसे बड़ा जेलावास था, 1945 में उन्हें जेल से रिहाई मिली थी। इसके बाद वर्ष 1946 के आम चुनाव के बाद वे श्रम मंत्री बनाए गए.

वी.वी.गिरि को मिला पद

1947 से 1951 के बीच गिरि ने भारत के पहले हाई कमिश्नर के पद पर रहते हुए सेवा की थी। इसके बाद 1951 के जनरल चुनावो में उनकी नियुक्ती पथापथ्नम लोक सभा क्षेत्र (मद्रास राज्य) से पहली लोक सभा के लिए की गयी थी।

Varahagiri Venkata Giri का राष्ट्रपति बनना

24 अगस्त 1969 को वराहगिरि वेंकट गिरि भारत के राष्ट्रपति बने और 24 अगस्त 1974 को फखरुद्दीन अली अहमद के राष्ट्रपति बने रहने तक वे भारत के राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत थे। चुनाव में गिरि की नियुक्ती राष्ट्रपति के पद पर की गयी थी लेकिन वे केवल एक्टिंग प्रेसिडेंट का ही काम कर रहे थे और वे एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिनकी नियुक्ती एक स्वतंत्र उम्मेदवार के रूप में की गयी थी।

राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने उस समय में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्णयों को भी सुना था। राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने 22 देशो के 14 राज्यों का भ्रमण किया। जिनमे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अफ्रीका भी शामिल है।

वराहगिरि वेंकट गिरि को राष्ट्रपति चुनाव में मिला वोट

वराहगिरि वेंकट गिरि को राष्ट्रपति चुनाव में मिला 4,01,515 वोट |

वी.वी.गिरि को मिला सम्मान

गिरि को भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। भारत के पाँच राष्ट्रपतियों को मिलने वाले भारत रत्ना अवार्ड में से गिरि चौथे राष्ट्रपति थे।

वी.वी.गिरि का निधन

24 जून 1980 को हार्ट अटैक की वजह से गिरि जी की मृत्यु हुई थी। मृत्यु के अगले दिन पुरे राज्य ने उन्हें अंतिम विदाई दी थी और भारत सरकार ने उनके सम्मान में सुबह का मौन भी घोषित किया था। इसके साथ ही उन्हें सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दो दिन की राज्य सभा भी स्थगित कर दी थी।

FAQ

वराहगिरि वेंकट गिरि कौन थे ?

वराहगिरि वेंकट गिरि भारतवर्ष के चौथे राष्ट्रपति थे। वह वर्ष 1969 में राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुए थे।

वराहगिरि वेंकट गिरि का जन्म कब हुआ था ?

वराहगिरि वेंकट गिरि ( Varahagiri Venkata Giri ) का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के बेहरामपुर में एक तेलुगू भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था|

वराहगिरि वेंकट गिरि के माता पिता का क्या नाम था ?

वराहगिरि वेंकट गिरि ( Varahagiri Venkata Giri ) के पिता का नाम वराह गिरि वेंकट जोगैया और उनकी माता का नाम  सुभाद्रम्मा था।

वराहगिरि वेंकट गिरि ने क्या पढ़ाई की थी ?

वराहगिरि वेंकट गिरि (वी.वी.गिरि) ने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गृहनगर में पूरी की | अपनी कानून की शिक्षा के लिए उन्होंने वर्ष 1913 में डबलिन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया |

उसी वर्ष 1913 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, वी.वी.गिरि उनके विचारों से काफी प्रभावित होकर वर्ष 1916 में उन्होंने आयरलैंड के ‘सिन्न फ़ाईन आंदोलन’ में सक्रीय रूप से भाग लिया जिसके कारण उन्हें कॉलेज से निष्काषित कर दिया गया। परिणामतः वे अपनी कानून की शिक्षा पूरी करने में असमर्थ हो गए और

वराहगिरि वेंकट गिरि की पत्नी का नाम क्या था ?

वराहगिरि वेंकट गिरि (वी.वी.गिरि) की पत्नी का नाम श्रीमती सरस्वती बाई था।

वराहगिरि वेंकट गिरि का जन्म कहाँ हुआ था ?

वराहगिरि वेंकट गिरि ( Varahagiri Venkata Giri ) का जन्म बेहरामपुर, ओडिशा में हुआ था। उनका जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के बेहरामपुर में एक तेलुगू भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

वराहगिरि वेंकट गिरि का निधन कैसे हुआ ?

वराहगिरि वेंकट गिरि ( Varahagiri Venkata Giri ) का निधन  हार्ट अटैक की वजह से हुआ था। उनकी मृत्यु 24 जून 1980 को हुई थी।

वराहगिरि वेंकट गिरि का निधन कब हुआ ?

24 जून 1980 को हार्ट अटैक की वजह से गिरि जी की मृत्यु हुई थी।

वराहगिरि वेंकट गिरि राष्ट्रपति कब बने ?

24 अगस्त 1969 को वराहगिरि वेंकट गिरि भारत के राष्ट्रपति बने और 24 अगस्त 1974 को फखरुद्दीन अली अहमद के राष्ट्रपति बने रहने तक वे भारत के राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत थे।

वी.वी.गिरि का पूरा नाम क्या था ?

वी.वी.गिरि का पूरा वराहगिरि वेंकट गिरि था। वराहगिरि वेंकट गिरि ( Varahagiri Venkata Giri ) भारत के चौथे राष्ट्रपति थे।