Pandit Deen Dayal Upadhyaya ke Anmol Vachan पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म: 25  सितम्बर 1916 को उत्तरप्रदेश के नगला चंदाभन गाँव में हुआ था | भारतीय राजनीती में उनकी एक अलग ही पहचान है | पंडित जी भारतीय जनसंघ से जुड़े हुए थे और इसके अध्यक्ष भी रहे थे |पंडित दीनदयाल जी को एक महान  चिन्तक और संगठनकर्ता के रूप में देखा जाता है ।

पंडित जी की रूचि साहित्य और राजनीती में काफी ज्यादा थी | उनके बिभिन्न भाषा में लेख पत्र -पत्रिकावों में निकलते रहते थे | काफी शांत स्वाभाव के थे पंडित जी साथ ही साथ उनकी सोम्यता के सभी कायल थे | विलक्षण बुद्धि, सरल व्यक्तित्व एवं नेतृत्व के अनगिनत गुणों के स्वामी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को हम नमन करते है |

आईये जानते है पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के द्वारा कहा गया कुछ अनमोल विचार  ( Pandit Deen Dayal Upadhyaya ke Anmol Vachan )

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनमोल वचन 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय quotes 1

विविधता में एकता भारतीय संस्कृति का आधार है ।

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स्वतंत्रता केवल सार्थक हो सकती है अगर यह हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का साधन दे ।

 पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के अनमोल विचार

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जीवन में विविधता और बहुलता है, लेकिन हमेशा उनके पीछे एकता की खोज करने का प्रयास करना चाहिए।

Pandit Deen Dayal Upadhyaya ke Anmol Vachan

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राष्ट्रीय और मानवीय, दोनों दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि हम भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों के बारे में सोचें।

 पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के अनमोल विचार

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भारतीय संस्कृति की मूलभूत विशेषता यह है कि यह जीवन को एक एकीकृत पूरे के रूप में दिखाता है।

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मानव में दोनों ही प्रवृत्तियों हैं – एक तरफ क्रोध और लालच और दूसरा प्रेम और बलिदान।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय सुविचार

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“धर्म के मूल सिद्धांत अनन्त हैं और सार्वभौमिक हैं।

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बिना राष्ट्रीय पहचान के स्वंत्रता कुछ भी नहीं | और इसी की उपेक्षा भारत की समस्याओं का मूल कारण है |

पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सुविचार

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नैतिकता के सिद्धांतों को किसी भी द्वारा तैयार नहीं किया जाता है, ये खोजी जाती हैं।

Pandit Deen Dayal Upadhyaya Hindi Quotes

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“भारत में नैतिकता के सिद्धांतों को धर्म – जीवन के कानून कहा जाता है।

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जरुर देखें – स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनमोल वचन

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“जब प्रकृति धर्म के सिद्धांतों के अनुसार चलती है, हमारे पास संस्कृति और सभ्यता है।

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचार

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“धर्म के लिए अंग्रेजी शब्द धर्म सही शब्द नहीं है।

Pandit Deen Dayal Upadhyaya Hindi Quotes

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“धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष (मानव प्रयासों के चार प्रकार) के लिए इच्छाएं मनुष्य में हैं और इनका एकीकृत तरीके से संतुष्टि भारतीय संस्कृति का सार है।

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आदर्श और मातृभूमि – अगर इन दोनों में से कोई नहीं है तो फिर कोई राष्ट्र नहीं है।

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शक्ति अनैतिक व्यवहार में नहीं है बल्कि अच्छी तरह से विनियमित कार्रवाई में है।

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी के अनमोल विचार

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