गुलजारीलाल नंदा की जीवनी

गुलजारीलाल नंदा भारत के कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे | प्रधानमंत्रियों में नेहरूजी के बाद इनका स्थान दूसरा था हालाँकि ये नेहरूजी के अचानक मृत्यु होने के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गए थे नए प्रधानमंत्री के न्युक्ति होने तक  |

गुलजारी लाल नंदा भारत के एक मात्र ऐसे कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे हैं, जिन्होंने इस जिम्मेदारी को दो बार निभाया। वे प्रथम बार पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद 1964 में और दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद 1966 में कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने।

गुलजारीलाल नंदा का प्रारंभिक जीवन
गुलज़ारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को सियालकोट (अब पश्चिमी पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता बुलाकी राम नंदा तथा माता श्रीमती ईश्वर देवी नंदा थीं।

प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ग्रहण करने के बाद नंदा ने लाहौर के ‘फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज’ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने आगरा और अमृतसर में भी अध्ययन किया। उन्होंने कला वर्ग में स्नातकोत्तर किया और क़ानून की स्नातक (एल.एल.बी) उपाधि प्राप्त की।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्होंने ‘श्रमिक समस्याओं’ पर शोध किया और सन 1921 में बॉम्बे के नेशनल कॉलेज में अर्थशाष्त्र का प्रोफेसर नियुक्त हो गए।

इनका विवाह सन 1916 में लक्ष्मी देवी के साथ करा दिया गया। यह बहुत ही सरल स्वभाव के निष्ठावान व्यक्ति थे | यह महात्मा गांधी के विचारो से काफी प्रभावित थे सदैव उन्ही का अनुसरण पूरी निष्ठा से किया| इन्होने दिल से भारत की सेवा की जिसके बदले में इन्हें कभी कुछ मांग नहीं की |

गुलजारीलाल नंदा का राजनितिक जीवन
भारत की आजादी में इन्होने असीम योगदान दिया,यह देश के लिए सदैव समर्पित रहे | 1921 में इन्होने गाँधी जी के नेतृत्व में ‘असहयोग-आन्दोलन’ में भाग लिया | यह बम्बई के नेशनल कॉलेज में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे | अध्यापक के रूप में इन्हें छात्रो का बहुत स्नेह प्राप्त हुआ |

1922-1946 तक इन्होने अहमदाबाद की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में लेबर एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यभार सम्भाला | इन्होने श्रमिको की समस्या को सदैव समझा एवम उनका निर्वाह किया | ‘सत्याग्रह’ एवम ‘भारत-छोडो’ आन्दोलन के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया |
1937-1939 में यह विधानसभा के सदस्य रहे, इस समय इन्होने श्रम एवम आवास मंत्रालय सम्भाला |

1947-1950 में इन्हें विधायक नियुक्त किया गया| विधायक के तौर पर इन्होने कई सराहनीय कार्य किये | 1947में इन्होने ‘इन्डियन नेशनल ट्रेड यूनियन काँग्रेस’ की स्थापना की | इनकी कार्य के प्रति निष्ठा को देखकर इन्हें दिल्ली बुलाया गया | इन्हें सरकार ने अहम भूमिका एवम कार्यभार दिए |

यह 1950 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बनाये गये | भारत की पंच-वर्षीय योजनाओ में इनका भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ | जवाहरलाल नेहरु इनके कार्य से बहुत प्रभावित थे | यह मंत्री मंडल में केबिनेट मंत्री के पद पर रहे और 1951-1952 तक योजना मंत्रालय का कार्यभार सम्भाला |

1952-1955 तक नदी-घाटी परियोजना में अहम योगदान दिया |

1957-1967 में सिचाई एवम उर्जा विभाग को भी सम्भाला |

1963-1964 में इन्होने श्रम और रोजगार विभाग के कार्यभार का निर्वाह किया |

यह प्रथम पाँच आम चुनावों में लोकसभा के सदस्य चुने गये हुए।

1964 में नेहरु जी की म्रत्यु के पश्चात कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गये थे एवम 1966 में लाल बहाद्दुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात पुन: कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाये गये |

लेखक गुलजारीलाल नंदा

गुलज़ारी लाल नंदा एक राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे । उन्हें राजनीति के अतिरिक्त पढ़ने और पुस्तक लिखने का भी शौक था। अपने जीवनकाल में उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की। इनके अनमोल रचनाओ मे से कुछ इस प्रकार हैं

“सम आस्पेक्ट्स ऑफ़ खादी”,”

अप्रोच टू द सेकंड फ़ाइव इयर प्लान”,”

गुरु तेगबहादुर”,”

संत एंड सेवियर”,”

हिस्ट्री ऑफ़ एडजस्टमेंट इन द अहमदाबाद टेक्सटाल्स”,”

फॉर ए मौरल रिवोल्युशन” |

गुलजारीलाल नंदा का निधन 

गुलजारीलाल नंदा का  निधन 15 जनवरी 1998 को हुआ। इन्हें 100 वर्षो की दीर्घ आयु प्राप्त हुई | वह सादा जीवन उच्च विचार को अपने जीवन का सिद्धांत मानते थे। एक स्वच्छ छवि वाले गांधीवादी राजनेता के रूप में उन्हें सदैव याद किया जायेगा।

गुलजारीलाल नंदा का सम्मान 

उनको राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ और सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ से नवाजा गया।

गुलजारीलाल नंदा

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