मंगल पाण्डेय

मंगल पाण्डेय एक ऐसा नाम है जिसको सुनते ही दिल दिमाग में एक अजीब सी गर्मी आ जाती है और सर फक्र से ऊँचा हो जाता है | मंगल पाण्डे 1857 के पहले स्वंतंत्रता संग्राम के महान नायक थे |

आज सैकड़ो सालो बाद भी अपने देश का बच्चा – बच्चा मंगल पांडे को सलाम करता है | ऐसे महान नायको की वजह से ही आज हम भारतवासी आजाद है और प्रगति कर रहे है | काश हम मंगल पाण्डेय जैसे महान आत्माओ को अच्छे से देख और सुन पाते, परन्तु हमारे पास उनकी बस थोड़ी बहुत सुनी सुनाई बातें है और हम इससे ज्यादा जान भी नहीं सकते क्योकि इतिहास में जाना संभव नहीं |

बरहाल जो भी है जिनती भी जानकारी है इतना काफी है की हम अपने हर आजाद सुबह के लिए उनको नमन करें | आईये जानते है थोडा बहुत महान क्रांतिकारी और देशभक्त शहीद मंगल पांडे के बारे में |

महान क्रांतिकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश (पहले अवध) के बलिया जिले में नाग्वा गाँव में हुआ था | एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे मंगल पाण्डेय का बचपन आम बच्चो की तरह ही पढ़ते लिखते और खेलते हुए गुजरा |जवानी में मंगल पाण्डेय ने आपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए सन 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी पकड़ी | उनकी तैनाती बरकपुर (बंगाल ) में हुई थी | आगे जाकर मंगल पाण्डेय अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल नेटिव इन्फैंट्री (BNI) की 34 वीं रेजीमेंट में एक सिपाही के रूप में तैनात हुए |

उन्ही दिनों ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिपाहियों को एक नए प्रकार का कारतूस उपयोग करने के लिए दिया | इस कारतूस को उपयोग करने के पहले दांतों से उसकी पडत हटानी पड़ती थी | उसी बीच सिपाहियों को यह ज्ञात हुआ की इस कारतूस में गाय और सुगर के मांस का उपयोग किया जा रहा है | Mangal Pandey को भी खबर लगी की कारतूसो में मांस का प्रयोग करके हिन्दू और मुस्लिम दोनों जातियों का धर्म भ्रस्ट किया जा रहा है |

मंगल पांडे ने इस अन्याय का विरोध किया और इसके खिलाफ वे ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध उठ खड़े हुए | 29 मार्च को 1857 को जब मंगल पाण्डेय समझ गये की अंग्रेज ऐसे नहीं मानेंगे तो उन्होंन विद्रोह कर दिया और कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया | इस विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआत के रूप में देखा जाता है |

विद्रोह के परिणाम स्वरुप Mangal Pandey से उनका हथियार देने के लिए और वर्दी उतारने के लिए कहा गया परन्तु उनके पास हथियार लेने जा रहे ब्रिटिश अधिकारी अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन पर उन्होंने हमला करके उसको मौत के घाट उतार दिया | फिर उन्होंने एक और पास आ रहे अंग्रेज अफसर मि. बाफ को भी मार गिराया |

हालाँकि मंगल पाण्डेय ने बाकि भारतीय सिपाहियों को भी साथ देने के लिए कहा लेकिन सिपाही ब्रिटिश से इतने खौफ खाते थे की किसी ने उनका साथ नहीं दिया | ये अलग बात है की किसी भारतीय सैनिक ने अपने ऑफिसर का मंगल पाण्डेय को पकड़ने का आदेश भी नहीं माना |

पढ़ें महान क्रांतिकारी – बाबू वीर कुँवर सिंह के बारे में ।

बाद में अपने को चारो तरफ से घिरा हुआ पाकर Mangal Pandey ने खुद को गोली मार लिया और वो घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिए गए |फिर उन पर कोर्ट द्वारा मुकदमा चलाकर 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गयी।

फैसले के अनुसार उन्हें 18 अप्रैल 1857 को फाँसी दी जानी थी | पर ब्रिटिश सरकार पर मंगल पाण्डेय का इतना खौफ सवार हो गया था की उन्होंने मंगल पाण्डेय को निर्धारित तिथि से दस दिन पूर्व ही 8 अप्रैल सन् 1857 को फाँसी दे दिया।

यह विद्रोह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआत के रूप में देखा जाता है | मंगल पाण्डेय के विद्रोह , फिर उनको निर्धारित तिथि से पहले फाँसी दिए जाने से पहले से ही लोगो में पनप रही विद्रोह और बढ़ गयी | मंगल पाण्डेय के विद्रोह ने अंग्रेजो के प्रति लोगो की घृणा को एक चिन्गारी दे दिया और देखते ही देखते और जगह भी विद्रोह होने लगे |

मंगल पाण्डेय द्वारा विद्रोह के ठीक एक महीने बाद ही 10 मई 1857 को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत हो गयी और यह विद्रोह देखते-देखते पूरे भारत में फैल गयी। भारतीय स्वन्त्रन्ता संग्राम के शुरुआत हो गयी थी | अब इस संग्राम में सिपाहियों के साथ साथ राजा-रजवाड़े, किसान और मजदूर भी शामिल होने लगे ।

आख़िरकार मंगल पाण्डेय ने जो आज़ादी की चिंगारी जलाई थी उसने बाद में एक भयंकर रूप धारण कर लिया और अंतत अंग्रेजो को भारत छोड़ना ही पड़ा | इसलिए आज हम आजाद है | ऐसे भारत माँ के सपूत को हमारा दिल से नमन | मंगल पांडे अमर रहें जय हिन्द |

Mangal Pandey Quotes

Mangal Pandey