किसी ने कहा “प्लीज विवेकानंद और बाबा (अभी focus में चल रहे बाबा …बाबा रामदेव ) में compar मत करो ” पहले अजीब लगा ..शायद सही भी पर भाई कुछ दे बाद ख्याल आया..
क्यों ना करू ..क्यों नही हम विवेकानंद और रामदेव में तुलना कर सकते …..
दोनों ही self -made men है ,दोनों ने ही core Indian और typical Indian theories के जरिए प्रसिद्धी
पाई है|
विवेकानंद ने अपने भारतीय ज्ञान और दर्शन का अध्ययन किया,वेदों से दृष्टी पाई..और इसके उपरांत वेदान्त को नया रूप दिया ,नई पहचान दी|
अपने ज्ञान का प्रदर्शन दुनिया भर में किया ,Chicago speech से पहचान पाया और पूरी दुनिया में अपने अनुयायी बनाये|
चंदा इकठ्ठा किया और रामकृष्ण mission की स्थापना तभी संभव हो पाई |
उन्होंने भी भारतीय संस्कृति ,राष्ट्रीयता पर जोर दिया और इनकी marketing की बदोलत ही प्रसिद्ध हुए |
पर वे इक आध्यात्मिक गुरु थे | Hinduism उनके एजेंडे में सब से ऊपर था |और इसलिए अभी भी मुस्लिम उन्हें हिन्दू गुरु मानते है ,जब की वो भी उनके विचारो से प्रभावित हैं |
अब रामदेव …..
इन्होने ने भी भारतीय आदि सिद्धांतो और ज्ञान का अभ्यास किया और योग को नई परिभाषा दी,प्रचलित किया.
उपेक्षित भारतीय चिकित्सा को आत्म-बल दिया और उसी के जरिये धन भी अर्जित किया,पर लुटा नही ….हँ अधिक से अधिक प्रचार जरुर किया ,तो इसमें गलती क्या है…
इन्होने भी एकता,सर्व धर्म सद्भाव की बाते ही की..
तो क्या अंतर है बस समय का..और इस दौर के सोच का..वैसे ये सब बाते विवेकानंद को भी सहनी पड़ी थी ..
मै तो कहता हूँ अगर बाबा अपने से बाबा,स्वामी और महाराज की उपमा उतार फेंके तो वे गाँधी की तरह well -acceptable या यो कहे सर्वमान्य मन सकते है क्योकि yoga सब धर्मो से परे है ,यह तो science है ,सो बाबा धर्मात्मा नही scientist हैं |
कोई भी भारतीय yoga और आयुर्वेद को जरुर बड़ते देखना चाहेगा ….क्या तुम नही?
वैसे भी यदि आप सफल नही है ..तो आपकी याग्यता किसी कम की नही ..कोई तुम्हे सुनने को तैयार ही नही होगा.
सो बाबा business men तो है …उन्होंने भारतीय पुरातन पद्धति की मार्केटिंग भी की है तो इसमें धोखा क्या है उपेक्षा से अच्छा तो उधम है और उस उधम से कोई यदि पुरष्कृत हो रहा है तो खींझ किस बात की …..अगर किसी ने पारश पत्थर पर से मिटटी हटाई है तो उसे रोशनी तो मिलेगी ही ना..
वैसे भी उनकी दवाईया महेंगी नही है ..सुलभ और सस्ती है..ह़ा बिकती बहुत है सो income तो होगा ही ना….
पर नही हमें तो आयुर्वेद और जोग को मिटटी क निचे और Ranbaxy को इंडिया के सर पे बिठाना है.
भाई हम तो विरोध करेंगे …अगर किसी ने भारतीयता का साथ देना चाह…
Ravi kashyap