आम युवा का ज्वार – Hindi Poem

कौन हूँ मै ?
शायद जबाब ना मिले ,सिर्फ मुझे ही नही ,मुल्क के तमाम युवा को भी शायद जबाब चाहिए!
आखिर कौन हैं हम सब ??

वो जो रोज खुद से लड़ता है ,अपनी असफलता पर खिंजता है..अपने दोष किसी और पर मढ़ने की कोशिश में लगा रहता है…
सराय काले खा के फुटपाथ पर सोये बेघरो को देख कुढ़ता है,अन्दर ही अन्दर रोता है|
नॉएडा मोड़ की झोपड़ियो को बस की खिड़की से रोज देखता ,कुछ करने की चाहत में बस हाथ मलता रह जाता है|
कौन हूँ मै??

Jarur Padhen Aur Hindi Kavitayen

जो नित नई कसमे लेता है की “आज से  तो बेटा हिला कर पढ़ना है”(ये जानते हुए भी की यही कसम वह रोज खाता है )
या फिर लडकियों को ना घूरने की गांठ बंधता है…..
या जो काँलेज क्लास छोर मूवी जाता है|जो बिना बात के पार्टी करता है ,पास होने की खुशी में महीने भर पढाई ही नही करता |
कौन हु मै??

जो कभी “आजाद भवन” में वर्तमान राजनीतिक अवस्था पर गंभीर व्याखायण देता है ,और कुछ पल बाद चुपके से सिगरेट पि उस गंभीरता को धुऐं में उड़ा जाता है|
अपने को खोजता हरिद्वार ,कशी से PUB और MALL छान मार आता है | जो काँलेज कैंटिंग में क्लास BUNK करने की प्लानिंग  करता….शायद किसी PROJECT PLANNING का पूर्वाभ्यास कर रहा हो |
आखिर कौन हूँ मै??

शायद खुद को साबित करने को आतुर ,समाज के बन्धनों को तोड़ने की ताक में, घावों पर मरहम लगाने को तत्पर , थोडा मस्त-मौला ,थोडा गंभीर ,आईने सा आक्स लिए ,बच्चो सा दिल लिए ,
विवेकानंद ,गाँधी और शकीरा को साथ करने में लगा ,वेदान्त और FACEBOOK में तार-तम्य बिठाता …..
संतुलन बनता इक यात्री ,इक अन्वेषक या यो कहो हिमनद से निकला एक नदी जो अपना रास्ता बनाने हेतु पहाड़ो
को  भी तोड़ने को तत्पर है…

हा शायद यही हूँ मै..
पता नही…मन फिर  भी कह उठता है “कौन हूँ मै”….

Posted by RAVI KASHYAP

आम युवा का ज्वार - Hindi Poem

आम युवा का ज्वार – Hindi Poem